रूद्रपुर नगर में आज निकाले गये बारावफात जुलूस का सर्वसमाज के समाजसेवियों एवं युवाओं नें शाल ओढ़ाकर एवं पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। सब्जी मंडी के समीप लगे इनके पंडाल में भारतीयता का मूल मंत्र सांप्रदायिक सद्भाव, विविध समुदायों का सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व, एक शांतिपूर्ण और प्रगतिशील समाज का संदेश आम जनमानस को दिया।
समाजसेवी हरविंदर सिंह हरजी ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव एक अनमोल संपत्ति है जिसे संजोकर रखना और संरक्षित करना आवश्यक है। यह वह आधार है जिस पर एक न्यायसंगत, समतापूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण होता है। विविधता को अपनाकर, आपसी समझ को बढ़ावा देकर और साथ मिलकर काम करके, हम एक ऐसा भारत एवं विश्व बना सकते हैं जहां सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग शांति और सद्भाव से रहें।
समाजसेवी जगदीश तनेजा ने कहा कि विविध संस्कृतियों और धर्मों का देश भारत ऐतिहासिक रूप से सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक रहा है। देश की परंपराओं और मान्यताओं के समृद्ध ताने-बाने ने विविधता में एकता की अनूठी भावना को बढ़ावा दिया है।
समाजसेवी सुशील गाबा ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को सभी के प्रति सहिष्णुता, सहानुभूति और सम्मान के मूल्यों का संचार करना चाहिए। बच्चों को भारत के समृद्ध इतिहास और विविध संस्कृतियों के बारे में सिखाकर, हम उनमें राष्ट्रीय गौरव और एकता की भावना का संचार कर सकते हैं।
पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्षा नेहा सामंत ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव केवल सरकार या संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष जावेद अख्तर नें कहा कि शांति और समझ को बढ़ावा देने में हम सभी की भूमिका है। सकारात्मकता फैलाकर, अभद्र भाषा का प्रतिकार करके और सहानुभूति को बढ़ावा देकर, हम एक अधिक सामंजस्यपूर्ण समाज में योगदान दे सकते है।
इस दौरान पूर्व नेता प्रतिपक्ष मोनू निषाद, नाजिर हुसैन हैप्पी रंधावा, पूर्व पार्षद अमित मिश्रा, ईमरान सैफी, चेतन भट्ट, योगेश पांडे, पवन बिष्ट, रामस्वरूप, समीर, हाजी खुर्शीद, मोनू कश्यप आदि उपस्थित थे.